जार थी आव्यौ मोबाइल फोन

रिश्ता थई ग्या हैत्ता मौन,

बदळी बदळी नै कालर टोन,

वरतौ पुसे भायला कौण?

आजकाल मिनक लागै म्हनै

सालता फरता कोय क्लोन

जार थी आव्यौ मोबाइल फोन

आको दाड़ो चार्जिंग घालो,

आपड़ो डाटा हंगरं नै व्हालो,

नानी नानी वातं हारू

पूरा बे-बे घण्टा आलो॥

आना सक्कर में भुलि ग्या

आजकाल आपड़ा भाई नै बोन

जार थी आव्यौ मोबाइल फोन

वातं वातं में मोबाइल काड़े,

स्यार मिनक में मोटाई वताड़े,

बैलेंस तौ कट्टु अे रैतु न्हैं पण

अंगासे धुतियू हुकाड़ै॥

अणा ठीकरा थकी’ज भरंय

आजकाल बिलं अर लोन

जार थी आव्यौ मोबाइल फोन।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत (मई 2023) ,
  • सिरजक : मयूर पंवार ‘मयूर’ ,
  • संपादक : मीनाक्षी बोराणा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर