रै दुखड़ा

थूं

अर

मार मंगरां पर म्हारै थापी जोर सूं

कविता जिसी कोई चीज

अटकी पड़ी है मांय।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 7 ,
  • सिरजक : मनमीत सोनी ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’