कतरो बदळ्यां जाय जमानूं

रीत पुराणी खाय जमानूं

मोठ बाजरी मक्का छोडी

लूखा गेवूं खाय जमानूं

चाकी चूल्हा कऊं छूटगी

गैस लियो बपराय जमानूं

कठै राबड़ी अर गळवाण्यूं

पीवै बळती चाय जमानूं

चरका मीठा छोड चीलड़ा

मैगी ली बपराय जमानूं

आज कठै है खीचड़ खाटो

डोना चाटै जाय जमानूं

सपना आवै देसी घी का

सोक्युं नकली हाय जमानूं

घर घर मैं कैलाशरोगला

अळसू-पळसू खाय जमानूं

स्रोत
  • सिरजक : कैलाशदान कविया ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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