निमन है थनै
थारै लाखीणै तप-तेज नै
ऊगती-बिसूंजती बेळा
परकम्मा देवतौ सूरज
करै थारी कसूमल आरती।
गावै है हरजस
हवा रै हिंडोलै झूलता पांगरिया पुसब।
इमरत री झारी लियां
हाजरी भरै है रात-रात भर
चौकस चंदरमा
अर नींद में झोटा खावती बेळां थनै
सुणावै मोरचंग अर रावणहत्था
रंगरसिया बालम, लस्करिया लंझा
ओळगिया मारू वाळा मीठा लोकगीत।
निमन है थनै
थारै लाखीणै तप-तेज नै।
गरमी री लूवां
भूंवांळी खाय’र न्हाख देवै नाड़
थारै तेज रै सामीं
डाफर डरूं-फरूं हुय जावै
थारै अडिग विस्वास रै आगै
बिरखा थारी कीरत रै सारू
हरिया खेतां में छांवळा छावै
अर वसन्त में
फागणियै छैलै ज्यूं
थूं ही रंग में रंगीज जावै।
निमन है थनै
थारै तप-तेज नै
थारी माटी इतिहास सिरजै
धरम-करम रै इकलंगियै
थंभा माथै
भूगोल थारी कीरत नै उजळावै।
धरती थारा वारणा लेवै
गिगन रा मेघ लुळ-लुळ’र
मुजरौ करे थनैं।
इसौ महात्मा थूं
निमन है थनै
थारै लाखीणै तप-तेज नै।
अमूझ’र क्यूं बैठौ है थूं आज
पिछाण थारी ताकत नै
अगस्त्य ज्यूं थूं भी तौ पियौ है
आखै समदर नै
थारी तिस रै ताण।
थूं भी तौ समेटी है सुरसत नै
थारी काया रै माया।
इसौ महाबली थूं
निमन है थनै,
थारै लाखीणै तप-तेज नै।