कस्बो

नितरा इज रंग बदळै छै!

हाल भी पढै छै लोगड़ा पोस्टर

देखै छै सिनेमो

खावै छै डोसा स्टालां माथै!

पण अेक कस्बो चुप छै

इंदिरा रसोई रै ओळै-दोळै

घूमतो फिरै छै पतळ चुगतो।।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुनियोड़ी ,
  • सिरजक : प्रमोद कुमार शर्मा
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