दरकास सुणै कुण दिखियां री

सै खमा-खमा नैं चावै रै

बैठ झण्डी री मोटर में

जण-जण री पीड़ भुलावै रै...

सै खमा-खमा नैं चावै रै...॥

जोर करावै चोट-ओट री

करम फूट्या जण-गण रा रै...॥

रात नैं फोड़ा घालै रातीन्दो

देख पावै नंईं दिन रा रै...

करम फूट्या जण-गण रा रै...॥

जाणै नंईं है राज री भासा

नीति-अनीति चलावै रै

करड़-काबरो मिनखापो तो

हेज री धार मिटावै रै...

घणी नीति-अनीति चलावै रै...॥

अकूरड़ी दबग्यो मिनखपणों

ठुकरास करै ठग बैठ्या रै

दया धरम नैं धोरै उतार्‌या

गोला करै गुलरका रै...

ठुकरास करै ठग बैठ्या रै...॥

ऊंठ खुड़ावै गधा डांमीजै

गण्डकां ज्यूं गण्डकावै रै

जाळ फैलावै भरम भाव रा

जीवण पड़यो अरड़ावै रै...

गण्डकां ज्यूं गण्डकावै रै...॥

झोलै में राखै कपट रमतियो

जीवण फिरकली फणग्यो रै

आं रजवाड़ां भलो पड़्यो कठै

बट मूंछयां रो खुलग्यो रै...

जीवण फिरकली बणग्यो रै...॥

अबोल हुया है थका बोली

थका मिनख जानवर बणग्या रै

रिसपत री रिमझोळ बाजै

सै-चौफुलियै में तुलग्या रै...

थका मिनख जानवर बणग्या रै...॥

थारो सुधारलै जीवण जमारो

हरख सूं नईं कोई सखरो रै

पीड़-पीड़ री देख नाड़

बांरो रोग मिटादै समूळौ रै...

हरख सूं कंईं नंईं सखरो रै...॥

दरकास सुणै...

...भुलावै रै...।

...खमा नैं चावै रै...॥

स्रोत
  • पोथी : नँईं साँच नैं आँच ,
  • सिरजक : रामजीवण सारस्वत ‘जीवण’ ,
  • प्रकाशक : शिवंकर प्रकाशन
जुड़्योड़ा विसै