गांव रो तालाब

आधौ खाली

आधौ भरीजियोड़ौ

तलाब री पाळ

चुपचाप बैठ’र

उछाळै कांकरा

अेक मिनख

आपरी धुन में।

हरमैस करै

वौ इतरौ काम

विचारां री नदी में

तैरतौ जावै

पूग जावै अळधी तांई

छेवट अेक दिन

तलाब रै तूंडै

भरीज जावै पाणी।

तलाब तौ सूखग्यौ

पण कांई हुवैला

मिनख रै पाणी रौ

जिणनै सोख्यां

विचारां रा कांकरा

मायं भरीजियोड़ा

अर सोचै

सगळा मिनख

कांई हुयौ इण तलाब रौ?

स्रोत
  • पोथी : बिणजारो पत्रिका ,
  • सिरजक : नलिनी कुम्भट ,
  • संपादक : नागराज शर्मा
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