कांई होयो

क्यूं भेळा होया मनख

कांई होयो

कुणनै कांई क्ही

कुणनै कांई करयो?

कांईबी नं होयो

बस एक पत्तो खरयो रूंख सूं

जे बोल्यो तो नं बच्यो

जे नं बोल्यो

ऊबी मरयो।

स्रोत
  • पोथी : आंथ्योई नहीं दिन हाल ,
  • सिरजक : अम्बिका दत्त ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन