काळयुग में देखो
होवै निराळो काम
मांचा गडै मूंज का
बेड देवै आराम
दळियो खिचड़ी भावै नीं
कांस सुबह अर शाम
ओडर दैय पीजा मंगवावै
चोखा चुकावै दाम
गोडां माथै पगां लागै
झुकण रो कै काम
हाय,हैलो कर पिंड छुड़ावै
भूल्या राम अर श्याम।