म्हैं तो अजै तांईं

जाणतो हो कै इण

धरती माथै,

एक ही तरह रा

कालीन्दर नाग हुवै हैं,

और वै काट खावै

तो मिनख-मानवी और

जिनावर सगळा ही,

बिना टिकट सुरग लोक

चला जावै है,

पण अबै मने ग्यान हुवो

कै धरती माथै कालीन्दर

नाग हैं घणा,

जिको आपरो विप टैम, टैम माथै

जनता नै देय नै

दु:खी बणावै है।

न्हारा देश रा लोग क्यूं

खावण में मिलावट करै है

बांधां रो सीमैण्ट क्यूं

रातूं रात मोटा सेठां रै

गोदाम री लाभरा शोभा बढ़ावै है।

नकली चीजां क्यूं असली

रै भाव भगवान रै नांव री

सौगन्ध सूं बिकै हैं।

दहेज रै खातर कितरी

ही कन्यावां बिना ब्याह रै

रह जावै है।

दहेज रा लोभी क्यूं आपरी

जोड़ायत नै जळाय हाथ सैकै हैं।

इण देश री धरोहर,

मूरतियां क्यूं विदेशों री

शोभा बढ़ावै है

हित्या नै बलात्कार

जैड़ा अपराधां री संख्या क्यूं

दिन दूणी रात चोगुणी बधै हैं।

आतंकवादी क्यूं आपरा

सवारथ खातर लोगां री

हित्या करै नै डकैतियां

घालै हैं!

स्रोत
  • पोथी : बदळाव ,
  • सिरजक : इब्राहिमखाँ सम्मा ,
  • संपादक : सूर्यशंकर पारीक ,
  • प्रकाशक : सूर्य प्रकाश मन्दिर, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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