कालज्यो मत जळाओ जी,
अठी उठी की बाता मं आर,
कालज्यो मत जळाओ जी।
थाको वाको काई न
बिगडै सुण'र,
रूपाळो मूंड़ो सांवळो पड़ जावै जी।
देख सांवळी छाया थांपै,
म्हारो काळज्यो जळ जावै जी।
मत गठीला डील सुखाओ,
थांका म्हांका नाता का ताळा की चाबी,
मत ओरा सु ढूंढवाओ जी।
म्हूं थांका तन मन मं,
था म्हारी नस-नस मं
फैर कांईं म्ही ऊपला पाणी सूं,
मन गागर झलकाओ जी।
संग बसों जब समय जागै थाको म्हाकों
रास रचो जब जमै थांकै म्हांकै
अंग गठिलो छूल्याबा द्यो जी।
हर दम थांकी औळयू आवै
आँख्या की तस बुझबा द्यो जी।
बाँका साजन अंग लगाल्यो,
मन का हाल सुणबा द्यो जी।
म्हारी आँसू री नदियाँ रोको,
घड़ी दो घड़ी को साथ मल्यो छः,
छोड़ो जग की थारी मारी,
अपणी बाता हो बा द्योजी।