क्यूं

हांसै है

अै पीळा पात

झड़ण री बेळा

पावै मुगती

आवण नैं पूठा

करण नैं काया-कल्प आपरौ

अर सागै

म्हारी नंग-धड़ंग काया रौ

जिण नै

थे

कैवौ हो कोरो ठूंठ्य

उणी ठूंठ्य नै पूठौ

रातौ-मातौ

हर्‌यौ-भर्‌‌यौ

अै करै

पीळा-पात

आपरी कंवळी-कंवळी

सोवणी-मोवणी

पत्तयां रै रूप में

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुनियोड़ी