पैली

घरां री छतां माथै

कागला आंवता

तद आपां

कागला उडांती टैम कैंवता

कै बटाऊ आयसी

अबै कागला आणा

बंद हुयग्या

अर

बटाऊ आणा हुयग्या कम

अर जे बटाऊ आज्यै

तद

आंवतांई चल्या जावै

लागै

आण- जाण रा

साधन बधग्या

का पछै

घटगो अपणायत।

स्रोत
  • पोथी : सपनां संजोवती हीरां ,
  • सिरजक : ऋतुप्रिया ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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