म्हैं खुद कैवूं
तोड़ो ईं भरोसै रै डूंगर नै
ईं रै माथै चढतां-चढतां
गोडां रै मांय
पाणी भरीजगौ
आं सबदां रा
अब अरथ पलटौ
आंरी स्यांणप सूं
घणी नफरत
हुवण लागी
क्यूंकै अै सबद
घणा चालाक हुयगा
अब हरेक री
चरितकथा नै समझणै रौ
बखत नीं
खून रै इतिहास नै
काटौ
जठै लग थे काट सकौ
सांची मानौ
मत राखौ
आं उणियारां सारू हेत
सेवट
चोखौ है आं सूं परै रैवणौ
वडेरां री लीक माथै
चाल’र बाडा नी बणोला
थे फालतू में
मुरदा भोम रा
नुंवा अरथ खोजणौ चावौ
थांनै
सांच कैवूं
छेड़ा हटजावौ
अळगा-साव अळगा
कांईं थांरै
पसीनै में ताव नीं
संकळप नै
धोबा सूं उछाळौ
सुरू करौ अेक जातरा
बिना पीठ ठोक्यां
म्है अब भी कैवूं
आं बारणा-दरुजां सूं
अै पग मोड़ौ
डूंगर री बरोबरी
नीं सही
नाळा रौ खूंखाट
साव आपरौ है
पछै नाळौ बैवतौ
नदी में मिलै या
बिचै सूख जावै
कीं म्हारी बात रौ ई
भरोसौ करौ
गैलायां छोड़ौ
सज आवै ज्यूं
घोड़ै सवार हुवौ
म्हैं तौ आई
कैय सकूं हूं
मत करौ कदमताळ
म्हारा भंवर
मत करौ कदमताळ
अेक ई ठौड़।