गांव मांय अेक छोरी ही रिंकी टेलर

जिकी किणी परबसी सूं

गांव छोडती बेळा

आपरै सगळै अणमणास नै ल्हुकोवती

म्हनै कैयौ हौ,

कदै स्हैर आवै तौ मिलजै!

पछै उण स्हैर री छिब

म्हारै हीयै मांय रैयी हरमेस

कै वौ म्हारी रिंकी टेलर रौ स्हैर है

जिण सारू वा कैवै ही,

कदै स्हैर आवै तौ मिलजै!

आज उण स्हैर मांय हूं रिंकी टेलर

हेरतौ फिरूं उण छोरी नै,

मिलावूं स्हैर री

अलेखूं सोवणी-मोवणी छोरियां रौ

म्हारी रिंकी सूं उणियारौ

पण इण स्हैरावूं छोरियां मांय वा बात कठै

जिकी गांव री रिंकी टेलर मांय ही

म्हारी रिंकी इण स्हैर मांय कठै गमगी

थन्नै कठैई मिलै तौ बतायजै रिंकी

वा छोरी जिकी कैयौ हौ—

‘कदै स्हैर आवै तौ मिलजै!’

स्रोत
  • पोथी : रिंकी टेलर ,
  • सिरजक : कुमार अजय ,
  • प्रकाशक : एकता प्रकाशन