इत्तै ऊंचै

आळै में

कुण धरै हो भाठा

घड़ परा गोळ-गोळ

सार भी कांईं

सार हो

घरधणी भेळै

मरण में।

अै इंडा है

आळणै में धर्‌योड़ा

जिण सूं

नीं निकळ सक्या बच्चिया

कद बचता पंखेरू

जद माणस नीं बचिया।

स्रोत
  • पोथी : आंख भर चितराम ,
  • सिरजक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण