ऊंचो शिखर भवन निराळो

देशज देशनोक धणयाणी

भगतां री अरदास सुणै

मां काबां वाळी किनियाणी...

तू बौपार वणज चलावै

मेहाई पुरै अन्न पाणी

दास रै सिर हाथ राखै

मां काबां वाळी किनियाणी...

दूर देसावर बैठ्यां हां

थारै भरोसै माताराणी

दीन दुखी री बात सुणौ

मां काबां वाळी किनियाणी...

थारी किरत पवन मांडी

तू सिखाई कलम चलाणी

नित उठ मैं थारौ नांव रटूं

मां काबां वाळी किनियाणी...

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : पवन कुमार राजपुरोहित ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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