सुण्यौ छपनियौ
दिख्यौ चुमाळीसौ
धरावां रौ दिगळौ देख्यौ
पांणी रौ हाकौ फूट्यौ।
पड़्यौ विकराळ-काळ
लटकण लागी खाल
गळग्या बिचारा गाल
हुयग्या हाल बेहाल।
घी-दूध तो आघौ रेवै
पांणी ई अेकांतरै बेकान्तरै आवै
चीजां रा भाव बापड़ा कांई करै
वै ठेठ मंगळ री जात्रा ई करै।
मिनखां री हालत बिगड़ी
चौपायां रै चारौ कोनी
कवियां रे कलम सूं स्याही खूटी
धरती सूं हरियाळी टूटी।
ओ काळ-सुकाळ है
नेतावां अर राज नौकरां रै
गिरजड़ा-कागला अर अेड़ा ई पंछीवां रै
चौपायां रै नांव माथै गिंडका रै।
नेता बैठ हवाई में दौरा करै
लाखों रौ धुंवो यूं ई उडावै
वाटर ट्रेनां री बातां संसद में करै
‘पेड़ लगाओ’ अभियान यूं ई चलावै।
राज रा नौकर कांई करै?
हड़ताळां। अनशन री सूझै
बोलै उणरां बूंबळा ठेट सू बिकै
वै नाज जोगा पइसा लेय पड़ै...।
फेमिनां वाळां रै तो राम तूठै
सड़कां री सड़कां डकार जावै
पछै अे गिरजड़ा! गिंडका सूं होड करै
मिळै उतरौ इ चूस’र सुकाळ करै।