काळै ऊनाळै कड़कती,
आवती उमड़ उमड़ बादळियां
करसां ऊपर देखता॥
कर कर ऊंची आंगळियां॥
उबां लेरां लेवती
दिन उगण री बेळा
झीणों बाजतौ बायरौ
घणी आवती गैळां॥
आभो गटा टोप हौवडौ
एक एक पड़ती छांट
छिंगूरां लेवता टोगड़ा
पाड़ा मांडतां आंट॥
हळ बेवटा ठीक कराया
करसा काळै उनाळै।
इन्द्रराज नी नीचा उतरया
नी न्याळ किया नद नाळै
हळ माथै नी हाथ देरीज्यौ
आसाढ़ सावण रै मास
गायां ढींकती मरी बापड़ी
देख सकी नीं घास।
मरुधर मुलक रै मांय
पड़ गयो दुसमी काळ
आकां रो दूध सूकग्यौ
किल-मिळाइज्या केरड़ा जाळ॥