जूण

जाणै जोड़

नफै-नुकसान रो

आखी जिनगी

मिनखाचारो सोधती

जद मिलायो हिसाब

आंगळ्यां माथै

पांगळा सा पग म्हेलती

चितराम सूझ्यो इंसान रो

डोळ सांतरो

बोली नीलामी अर भाव

जगती री इण मंडी मांय

जीतो जागतो मिनख बणै

माल बिकाऊ दुकान रो

घर कर न्हाख्यो घरकूंड्यो

अळगा सगळा घरआळा

अणसुळझी फाळी बण डोलै

मूंडै लटकायां ताळा

घर रो सुपणो हेठै टेक

माथै ऊंच्यो मकान रो

जूण जाणै

जोड़

नफै-नुकसान रो।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक (दूजो सप्तक) ,
  • सिरजक : चैन सिंह शेखावत ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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