जग जाणै के

नर सूं इज

व्हिया हा नारायण...

धरा पर

लीधो हो बावन अवतार

त्रिलोक नाप लीधो हो

तीन पावंडा में!

व्है सकै के

नारायण रो

कळजुगी अवतार है

परथू भगत...

फगत मिनख इज नीं

ईस्वर रो

हाड-चाम रगत

लेयनै

धरा नै पावन करी है

परथू भगत!

जनसेवा नै परथू री

पर निंदा मानै

अणसमझ नासवान लोग

वै जिका

नीं समझ सकै

परथू रो कर्मयोग..!

लोगां री बुद्धि पर

हंसतो-मुळकतो

आपरा मावित नै

मनोमन करै है नमस्कार

जिणां पूत रा पग

पालणा में देखनै इज

राख दियो

इत्तो फूटरो नांव

जिण नै सोळै आना

सांच करै

परथू रा काम!

जो धार ल्यै

तो पाछो आय जावै

चांद माथै थूकनै

कर आवै

आभै में काणकल्यो

गोरधन परबत री नाईं

टेर लेवै

चूकती दुनिया नै

चुट्टी आंगळी माथै

छटी रो दूध

चेतै आय जावै

चालण वाळा ने

परथू रै साथै..!

हंसी-ठट्ठो नीं है

परथू रो साथ

नीं ऊधो रो लेवणो

नीं माधो रो देवणौ

परथू थारी कांई बात

कांई थारो केवणो?

स्रोत
  • पोथी : अंजळ पाणी ,
  • सिरजक : कुन्दल माली ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी