अळसाई आंख

थाकैला सूं चूर

चिड़कली

अबै

जीवणो चावै

भरपूर

ज्यूं

बैवती नदी रौ

सुर।

स्रोत
  • पोथी : अंजळ पाणी ,
  • सिरजक : कुन्दल माली ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी