करमाँ की या गेल

सुख दुःख का सैनाण

जिन्दगाणी नहीं पठार-सपाटां करती

राती रूपाळी डोकरी

सावण की या बाळ

इन्द्र धनक का झूला में

या नरकाँ की झाळ

फागण की नहीं बयार सदाँ सर्राटा करती

या भोगाँ की सेल

रेल या रोगाँ की

कोशिश कर-

झीणी सी पहचान

दो आँगलियाँ की ओट घूँघटा बीच नजारा करती

कागद-कलम कोई माँड सके नहीं

इक सुर में गावे कोई

तो किस विध?

रस बरसे बस एक घड़ी

सात सुरयो होवे निरखे

पूरी महफिल छे सुनसान-मजाकाँ करती।

स्रोत
  • पोथी : सोरम का चितराम ,
  • सिरजक : अम्बिका दत्त ,
  • प्रकाशक : अणहद प्रकाशन