सुपनां में ईं मौत दीसै, जिनगी रास कियां आवै

छाती में तौ राध भरी है, नीका सांस कियां आवै

आवौ खांसी दम उपड़ौ

भाठा फोड़ां पेट भरां

कोई धणी धोरी म्हारौ

कींकर जीवां कियां मरां

बिजळी घणी दूर म्हांरै सूं, घरां उजास किया आवै

सुपनां में ईं मौत दीसै जिनगी रास कियां आवै।

फाट्योड़ा गाभां में धापू

जोबन ढकती मांय लुकी

रामूड़ौ भूखौ सोयौ

मा-बापां री कमर झुकी

टाबरपण में बूढ़ा होग्या अब हिंवळास कियां आवै

सुपना में ईं मौत दीसै जिनगी रास कियां आवै।

स्रोत
  • पोथी : मोती-मणिया ,
  • सिरजक : कैलास मनहर ,
  • संपादक : कृष्ण बिहारी सहल ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन
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