थे बात

कदैई सोचौ नीं कै

थे म्हनै जिकौ दियौ

म्हैं उणनै बिसराय दियौ

भोळा

बा तौ म्हारी ताकत है।

दिन-रात तौ

इयां उगै-छिपै

पण सबद तौ

सबद हुवै

वै जागै अर वै भागै

वै कदैई अलोप नीं हुवै

मिनख उणां नै गुणगुणावै

अर उणां नै अरथावतौ रैवै

आपां

सगळा संध्योड़ा हां सबदां सूं

टाळवां अर चोखा सबदां सूं

हां, सबद कठैई थोड़ा

तौ कठैई घणा

सबदां माथै ठैरां

ऊंडै अंतस सूं

उणां री ताकत नैं परख’र

पछै किणी नै सूंपां

पछै तौ नीं हैरणौ

तौ नीं बावड़णौ।

स्रोत
  • पोथी : अपरंच ,
  • सिरजक : गोरधन सिंह शेखावत ,
  • संपादक : गौतम अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : अपरंच प्रकाशन