ठाडा झोला देती

नीं बह री है सुहावती

मधरी गुलाबी वाव

चौफेर ऊठ रया है

द्यायली आंधी रा

झपीड़ मारता

धूड़ उड़ाता गोट

खें-खें करती

मारे है सूंसाड़ा

काळी-पीळी आंधी

खिलाफ है मौसम रौ मिजाज

लागो है बाग उजाड़ण

हवा री इण

गुंडागर्दी आगे सब चुप है

दुबकिया है मांय

आप-आप रा

किंवाड़ बंद कर

अर इण जोखम भरियै

अबखे बगत में

म्हांरी जिद है

अंधारा रै खिलाफ

अेक

दीवौ जगावण री

स्रोत
  • पोथी : अेक दीवौ अंधारा रै खिलाफ ,
  • सिरजक : श्यामसुंदर भारती ,
  • प्रकाशक : मरूवीणा प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम