थारी म्हारी
नित हुसियारी
कलावंत!
गूंथै-
फगत
झूठ रौ जाळ
पण
जे व्हैती
झूठ रै जड़
तो पूग जाती-
पिरथी फोड़ 'र
ठैठ पाताळ।