आंख्यां रा आंसू कद सूख्या हा

कद कम होयो हो

दर्‌द रो दरियाव

कद राजी होया हा

मानखै री जूण में

पण जद जीणो ही है

दु:ख सुख री छाया में

तो क्यूँ खाली जूण काटणी

करस्यां कोसिस लड़स्यां लड़ाई

जीवण जीणो सोरो सही

पण मरण म्हैं ही कोनी द्यां

जीवण नै आजीवण रोवण कोनी द्यां।

स्रोत
  • पोथी : साहित्य बीकानेर ,
  • सिरजक : सुनील कुमार लोहमरोड़ ‘सोनू’ ,
  • संपादक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : महाप्राण प्रकाशन, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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