कुण कै
परळै रो समदर
आग
बुझा री;
राखां रै नीचै
अंगारा सुलगै है।
तापाँ रा झटका
सरित्
सुखा दी;
मरुधर रै नीचै
जळ-धारा उमगै है।
ईं तम रो अजगर
दीप
निगलग्यो;
खंडहर में निरभै
जीवण-जोत जलै है।