घरां धिराणी बिना धणी रो जीवन है नीरस।
ठालप तोड़ै अेकलपै री सोच्यां आवै गस।
निठगी कठै सरसता सगळी
प्रीत पालणै री।
हिरदै कुण हिंवळास बंधावै?
बात सालणै री।
राग-रंग फीका हो ज्यावै, ठाला बैठ्यां बस।
घरां धिराणी बिना धणी रो जीवन है नीरस।
धुंध हिंवाळै री ठंडक सूं,
रहैळ बगै भाया।
डील मांय हड़कम्प माचज्या
कड़प उठै काया।
हड़बच मारै ठंडी-ठ्यारी, मिनख हुवै परबस।
घरां धिराणी बिना धणी रो जीवन है नीरस।
तीर काळजै मांय नीसरै,
हाड़चाम बेधै।
कठै ल्हुकावै जीव आपरो
हिरदै नै सेधै।
छोड़ै क्यूं-ई बाकी दर नीं काढ़ देय सो कस।
घरां धिराणी बिना धणी रो जीवन है नीरस।
सोक्यां में सून्याड़ बिना धण
घर आवै खावण।
प्रेम भाव रै बिना काळजै
लागै कद जावण?
सूका टूक ल्हुकासण सागै, हाड करै हरजस।
घरां धिराणी बिना धणी रो जीवन है नीरस।