पीळा पड़ग्या पान बेल रा

मुरझावै है फूल

जीवण-जीवण सूँ क्यूँ करै

माड़ी सूँ माड़ी भूल

अैड़ी जबरी माड़ी...॥

चींया झड़ रैया लाग बेल रै

कुमळाई है बेल

देख जीवण घणों दुख करै

जबरो दुनियाँ रो खेल

अैड़ो कोझो दुनियाँ...॥

बधै नँईं है नाळ बेल रै

जबरो लाग्यो रोग

फूट्या भोगना जीवण जमारै रा

आया माड़ा जोग

कैड़ा आया...॥

भाँत-भाँत रा कीड़ा-मकोड़ा

जड़्याँ नैं करै है खोखळ

जड़ सूँ मैटण रोग बेल रो

करणों जतन अमोलक

हुसी करणो जतन...॥

ध्यान राखज्यो बीज नीं जावै

धरा तोप्योड़ो अेळो

बण-बण बेल री नाळ बधै

जद जीवण रेवैलो-सौरो-

म्हाँरै जीवण...॥

पीळा पड़ग्या पान बेल रा...॥

स्रोत
  • पोथी : नँईं साँच नैं आँच ,
  • सिरजक : रामजीवण सारस्वत ‘जीवण’ ,
  • प्रकाशक : शिवंकर प्रकाशन