करणी पड़ै जूण-जात्रा

आप चावो कै नी चावो,

इण रा तरै-तरै रा रंग

देखणा पड़ै।

रातोड़ी भोर सू लेय’र

आखी रात री चूं-चूं

सुणणी पड़ै।

इण मांय रेवै राता-माता

होवता वै सैंग -

जिकां इणरै साथै-साथै

आपरै होवणै रो अरथ सोधै,

सोधै मानखै रो विकास।

फकत निचोड़’र फैंकण आळी,

अनीत रो बीजो पख

आवै सौरम

अेड़ै मिनखां री,

जिका करै घर फूंक’र

आपरी जातरा

मानखै रै नामै।

चाल रैयी है

कालो-काल सूं

विचारां री जातरा,

साचा वै जातरी अर

साची वांरी जातरा।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : विप्लव व्यास ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य-संस्कृति पीठ
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