आदमी आदमी मांय

के है फरक

अेक जैड़ौ जलमणौ

अेक जैड़ौ खून

अेक जैड़ा कांन-नाक,

किणी कपटगारै

खींच दीन्ही

मजहब, जात री भींता,

वौ कपटीपणा

मजबूती सूं ऊभी राखै

वां भींगा ने,

इणी भींत रै बरौबर

खींचीजै बीजी भींता

सगती री, सत्ता री, संपत्ति री,

भींतां रै मांय

बाणायीजै है भींतां,

सुण पेपला!

जिका लेवै भींतां री ओट

पक्कायत वांरी

नीत मांय है खोट,

जिको थन्नै भुळावै

पक्कायत वौ

नवी भींत बणावै।

स्रोत
  • पोथी : पेपलो चमार ,
  • सिरजक : उम्मेद गोठवाल ,
  • प्रकाशक : एकता प्रकाशन
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