कदै

अेकाअेक

नीं आवै तूफान

जे हर होवै जाणबा री

तौ सूंघ नै

आगूंच जाणियौ जा सकै

मौसम रौ मिजाज

कदै

अेकाअेक नीं तपै

भट्टियां धरती रा

गरभ में

नीं फाटे धरती चाणचक

नीं फूटे अगन झाळ नीं बिफरै

अेक दिन में नीं बहण लागे

लावौ

बरसां-बरस

धुकै लगातार घुटै

मसौसीजे मांय री मांय

भोभर में दबायोड़ी चकमक

चिणगारियां धुकधुक

घुमटिजै गरभ मांय

अेतस में ऊकळती

औकळ री झड़ झपटां

झाळां सूं झळ झळती

पीड़ वा मरोड़ां री

इण गत

बरसां री

कस्टायोड़ी धरती

गरभ में लावै रौ

बोझ लियां छटपटै

अर अंतपंत फाटै

ज्वालामुखी

स्रोत
  • पोथी : अेक दीवौ अंधारा रै खिलाफ ,
  • सिरजक : श्यामसुंदर भारती ,
  • प्रकाशक : मरूवीणा प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम