मगरां माथै ढोयो भार,
बिरथा जूण गमाई भाया।
कीकर होसी अब नैया पार,
जलम पाय कीं नीं कर पाया॥
पसेव कदै ई सूखै कोनी,
नींद आराम सूं आवै कोनी।
सुपनां ई पूरा हुवै कोनी,
म्है तो भींतां भचीड़ खाया॥ जलम पाय...॥
म्है तो रात-दिन खपता रैया,
लूंठा लारै दौङता रैया।
आखी जूण तपता रैया,
लूंठा लूट'र लेयग्या माया॥ जलम पाय...॥
बाप दादा झूंपड़ा में रैया,
बळदां ज्यूं रीजता रैया।
अबै तो जींवता जी मरग्या,
अबखाई नीं जाणी भाया। जलम पाय...॥
अजै तांई जूण आ ही गाळां,
आखी रात रै मरां पाळा।
क्यूं फेरां राम नाम माळा,
गादङा म्हानै नोच'र खायग्या॥ जलम पाय...॥
हुयो जीवण मांय उजास,
कीकर आवै चैन री सांस।
दिनूंगै देखी तो मिली लास,
क्यूं बाळो थे म्हारी काया॥ जलम पाय...॥