आजकल देखणो पड़ रयो
है म्हनै
जकां म्हैं नी चावौ देखणो
आजकल करणो पड़ रयो
है म्हनै
जकां म्हैं नी चावौ करणो
आजकल सुणनो पड़ रयो
है म्हनै
जकां म्हैं नी चावौ सुणनो
पण बचावण ने खुद रो
अस्तित्व अर जिन्दा रैवण
री लालसा में
बणनो पड़ रयो है
म्हनै जकां म्हैं
नी चावौ बणनो
फकत जीवण रा रस
भोगण री खातर
म्हैं सैन कर रयो हूँ
उण सगली बातां ने
जकां सैन नी कर सके
कोई-मिनख
जाणो ई कदै-कदै म्हनै
अहसास होवे कि अबे
म्हैं नी रयो हूं मिनख
म्हारौ बजूद घिर गयो है
इण भौतिक चीजां रे दोगले
और म्हैं भी बण गयो हूं
जकां म्हैं नी हूँ।