जागती आंख्या मांय
ना नींद है ना सुपना।
घणा दिना सूं
आज पुछ्यौ खुद सूं
इण रो कारण
तो दिख्या
पगां रा फाला
आली आंख्यां
फाटोड़ा गाभा
पीठ सू चिपियोड़ो
पेट...
अँधारघोर भविस
माईतवीहूणा
बिलखता टींगर
सड़क्या री लंबाई रो
टुटतो गुमान
मूंडे री झुर्रियां
पर रुक रुक बेवती गंगा
थाकयोड़े कांधै माथै
परिवार रौ भार
दिखै खुद सूं दूर होवतो
मजूर
अर पूछै म्हनै—
थानै नींद आ जावै?