जागो रे जागो रे भाई जोगो रे।

आळस उघाड़ काम लागो रे॥

रूंखड़ां पै पांखड़्या पंखेरूं खोले रे

पूरबलो आभो गुलाबी रंग घोळे रे

सूरज री किरण्यां करैला उजास

धोरां माथै मोरिया मधुर बोले रे

कूवै रो भूणियो गळच गळचावै

खीलिये रो हेलो सुवावणो लखावै।

सोनलिया कळसां ईढुणी ऊंचाया

पणघट पणिहार्या पाणीड़ो भरावै।

खेत हेत करसा करै है अब सागो रे

मैनत सूं माळिया मांडीजे आज

हिम्मत रै पाण सरैला सै’काज।

सुस्ताणो छोड़ो उणीदी आंख्यां खोल

छोड़णी पड़ैला थांनै ओढ्योड़ी लाज॥

खातां री सेवट बसैली देवळ्यां

धीरां रा बस जावै चोखा-चोखा गांव।

थारी-म्हारी छोड़नै बधोला आगै

जीवण री जोत सूं उजाळो थांरो नांव

मानखै नै पीड़ सूं उबारो आगो रे।

जागो रे जागो रे आई जागो रे॥

स्रोत
  • पोथी : अंवेर ,
  • सिरजक : शिवराज छंगाणी ,
  • संपादक : पारस अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर ,
  • संस्करण : पहला संस्करण