सोयोड़ै समाज ने जगावण री बात कर

पाळै में खुद ने आजमावण री बात कर

ताश-पत्तियां अर गप्पा मारनी छोड़'र

पेट खातर दो रोटी कमावण री बात कर

कद तांई ढोवैला निचुड़ती गिन्दगी नै

झाड़ू छोड़'र कलम उठावण री बात कर

देख या दारू थनै कठै सूं कठै ले आई

इबतो चांद तारा माथै जावण री बात कर

चारू खूंट में अणपढ़ाई रो घुप अंधेरो है

घर-घर तांई आखर पुगावण री बात कर

कठै स्यूं ही जोय'र ला अेक पतवारड़ी अर

माझी ज्यों जाजड़ली तिरावण री बात कर

आवण‌ वाळी पीढ़ियां रा मारग बंद नीं रैवै

'निर्मोही' झाड़ झंखाड़ हटावण री बात कर।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : श्याम निर्मोही ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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