ओ म्हारी
बुद्धि रा मेंढ़का
क्यूं फूलै?
पराई पोथ्यां स्यूं परबारोंइ
पकड़योड़ो
ओ थारो ग्यान
भूंविज्योड़ो भतूलियो है-जिको
मिनख’री जूण नै
अमळ ज्यूं घोळ नाखै।
दूजां री झोळी रा
उड़ा देवै पानड़ा
रोही स्यूं निसरै जद
सूणीजै
आप आपरै इन्दाज स्यूं
बोलता गादड़ा
आंरी
हु s s का s s हु s s आ s s
हड़क्योड़ी गंडकी रा।
हाडका है
जकां कानी कोई जोवै कोनी
तू ई बेगाना छान मैं
कद तक सोवेळा
आ जागती जोत
तनै'इ जौवै है।