बै म्हारै मांय

उठता-बैठता रैवता

ज्यादा घरै ईं।

कठै स्यूं नीं आवतो नूंतो

कीं उद्घाटन

का सभा संबोधन रो...

पण

जद स्यूं चुणीज्या है

अटकण लाग्यो है

लोगां रो ब्यां

बां बिना।

स्रोत
  • पोथी : आसोज मांय मेह ,
  • सिरजक : निशान्त ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
जुड़्योड़ा विसै