कदै ई नीं जांण सकसी प्रीतविहूणी रतनावली
कै वा जैड़ौ समझै, वैड़ौ डोफौ नीं हौ तुलसी,
जिण सूं लटूमै, वौ सांप ई है, ठाह हौ उणनै
कांई जांणै रिंकी, म्हैं नीं जांणूं थारा छळछंद?