लालबत्ती री वेळा
पड़ गीवी निजर
ढब्बू बेंचणिया
एक टाबर माथै
जित्तौ वो दूबळौ
उत्ता इज उणरा ढब्बू गोळमटोळ
जित्तो वो बदरंग
लियां होठां कटाई
उत्ता इज उणरा ढब्बू रंग- बिरंगा
फूलां रै उनमान
जित्तो पस्त व्हीयौ थकौ
वो करै विणती भरी बंतळ
पण तौ ई धुरकारीजै लोगां सूं
दूजी कांनी
उणरा ढब्बू उतरा इज मस्त!
लै'राय- लै'राय करै बंतळ पून सूं
पोमीजै आपरी जूंण पर।
म्हनै निरजीव, सजीव लखावै
तौ सजीव, निरजीव!
पण सुण रै ढब्बू!
एकर थूं ई आ मानखै
अर कर दो-दो हाथ
कुळबुळावती भूख सूं
पछै देखूं प्यारा
कित्तीक लेवै थूं
लै'रां थारी जूंण री!