घुमक्कड़ मन करै छै कैई जातरा
पण हर जातरा में रह जावै छै काँई नै काँई अधूरो
जीं नै पूरा करबा की टीस रह जावै छै मन में
हर आगली जातरा प्हैली सूँ तय नं होवै
हर पिछली जातरा को ख़ालीपण धकेलै छै हमेसा
ऊ नै पूरा करबा आड़ी
जस्याँ मुट्ठी में पाणी भर लेबा सूँ
पाणी को अहसास रह जावै छै
पण पाणी तो हाथाँ सूँ आखिर में रिस ई जावै छै।