म्हैं जद कदैई

आपो-आप मांय

खुद रै होवण रा

अरथ जोवूं हूं

तो रिस्तां रो अेक जाळ

ठाह नीं कद म्हनैं

पाछो बठै ईज

लेजा’र छोड देवै

जठै सूं म्हैं चाल्यो

सोचूं,

कदैई तो मिलसी

म्हनैं सोधती फिरती

म्हारै अंतस री हूंस।

स्रोत
  • पोथी : मन रो सरणाटो ,
  • सिरजक : इरशाद अज़ीज़ ,
  • प्रकाशक : गायत्री प्रकाशन
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