लकवा बऊँ

पण हूँ लकूँ

सड़क नी कानी मएं

नारा लगावती भीड़

केक

हड़ताल पोस्टर,

नैतं भाषण

केक नान् मोटं उद्घाटन

जुई

कलम ना कोंआडा

फेरवु अवरा आड़ा

तौ कविता ना पाण्णं मएं

बै मईनं नुं सुरू

घेरे मेंली

आई रोजी रोटी हारू

गाम मएं फरी रई है,

केक देज नी आग मएं -

बोन बेटी बरी रई हैं

नान पणा मएं

रण्डाईली

जेनी ओमर नो भार

अजी बाकी है,

गाम गरीअ नी

घंटीअ थकी

आपड़ी इज्जत

बसावी-बसावी थाकी है।

काम करत् मजूरं मएं

मोटीयाडी जोई...

ठेकेदार नी नजरै

थई रई हैं कारी,

केय के

काम है सरकारी

अस्कूल ना मारसाब

भणाई करावें अदूरी

नै दानगी लएं पूरी

नै पेला

हामजीना घोर मएं

हा हू ला लू

करतं सोरा सोरी

आकं मएं आऊअं लई

आज दीवारी

काल दीवारी

परमु दाडे़ घेर दीवारी करें

नै कोरा कागद ना

रेगीस्तान मएं

मारी कविताए हांसी-हांसी

वाते करें।

स्रोत
  • पोथी : वागड़ अंचल री ,
  • सिरजक : राजेश राज ,
  • संपादक : ज्योतिपुंज ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
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