अेक अरसै सूं

नीं आई है घरै कोई खुसी

घर री तो छोड़ो

कुटुंब-कबीलै में

नीं फुरकी है खुसी...

उल्टा रैया है

मायूस करणवाळा समचार

बात

देस-दुनिया तांई जावै।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली तिमाही पत्रिका ,
  • सिरजक : निशांत ,
  • संपादक : श्याम महर्षि
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