सुण दीवाली सुण दीवाली,
हिवड़ै री जोत जगाती जा—
जनता में सगती भरती जा॥
रोटी नै तरसे मिनख बापड़ो,
आबात सुणी ना जावेला।
भूखा तिरसां री हांय हांय,
‘इन्कलाब’ कदै ले आवेला॥
कै'तो रै'सी मैल मालिया,
कै झुंपों रा तिनका रैसी।
कै'तो रै'ला मैणत वाला,
कै धनिकांरा धंधा रैसी॥
जुलमां रा दीप बुझाती जा,
मैणत रा ढ़ोल बजाती जा॥
राम राज लावण सारूं —
लिछमी ने भी मनणोपडसी।
सामता जूं सेठां रो भी,
साथ छोड़ हटणो पडसी॥
मैणत रा पुतला करसां ने,
हिवड़े मुलक लगाणो पड़सी।
जद उजालो होसी जग मां,
जोत जोत सैचण करसी॥
अणचेता आग लगाती जा।
मिनखां ने मिनख बणाती जा॥