म्हारी देळी पै
कितरा'ई फणीधर
कुंडाळौ मारयोड़ा बैठ्या है
हूं, अभिमन्यु
चक्रव्यूह में फंस्योड़ौ
जीत रौ शंख सोध रैयौ हूं
म्हारै हर काम पै
आं नागां री निजर है
हूं खोजूं हूं कोई बारणौ
पण लाक्षागृह री सगळी भीतां अगन सूं
धू-धू धधक रैयी है
हूं दोवड़ी मौत रै
पंजै में फंस्यौ
सांसां रौ
हिसाब लगा रैयौ हूं ।