मैलां में रैवणिया बेली,

नीचै झांक रै।

मखमलिया गिदरां रौ जीवण,

इण सूं आंक रै।

तपै तावड़ै, रात्यूं न्हाटै,

खोद दड़ांनै, खाळा पाटै,

चुवै पसीनौ, रेतौ चाटै,

ढोरां जैड़ौ जीवण काटै,

राखै कांण रै

फाटा गाभा, गोडां ताणी,

नहीं मिळै पीवणनै पांणी,

तूटी टपरी सिरकी तांणी,

रुठ्यौ राम, राम नी जाणी,

दोरौ पेट रै

थे लूटौ हौ रात्यूं बांनै,

पण अै थांनै मायत मांनै,

देवै अंगूठौ खाली पांनै,

तौई भरोसौ कोनी थांनै,

लेवौ साख रै।

स्रोत
  • पोथी : मोती-मणिया ,
  • सिरजक : सांवत राम ‘कासणिया’ ,
  • संपादक : कृष्ण बिहारी सहल ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन
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